ह्रीं श्रीं शीतलाये नमः
ॐ जै जगजननी आनंदकरणी कलिमल हरणी सुखदानी ।
शीतले भवानी रमा शिवाणी जै ब्रह्माणी रुद्राणी ।।
खरारूढ़ तू जै जगमाता शिर सोने का क्षत्र फिरे ।
कलश पियूषपाणि इक राजत शुभ्र मार्जनी एक करे ।।
संतन सुख सेवा हे मेरी देवा, कड़ाधाम में राज रहें ।
क्षेत्रपाल भैरव सुखकारी, हनुमान अगवान तेरे ।।
जै माँ कुन्डेश्वरि जै माँ शान्ता जै श्री माता कल्याणी ।।1।। शीतला....
ब्रह्मा वेद पढ़ें तोरे द्वारे शिव सनकादिक ध्यान धरें ।
इन्द्र कृष्ण तोरी करत आरती, चॅवर कुबेर डुलाय रहे ।।
निकट देव धुनिधार बहत, तट श्री कालेश्वरनाथ अहैं ।
गौरी मंगला माँ मातंगी सदा भक्तन का कल्याण करें । |
ऋणिका आदि मातृकाओं में श्रेष्ठ सदा तू जग जानी ।।2।। शीतला...
्रिविधि ताप से पीड़ित जो जन शरण तिहारी आन पड़ें ।
सोमवार शीतला सप्तमी व्रत करि तेरो नाम जपै ।।
पान फूल अरुभोग बताशा श्री फल चुनरी भेंट धरै ।
पंचधार संग कुण्ड भरावै, पाँच प्रदक्षिण धाय करै ।।
किंकर भव बाधा कटि जावै, अरु सुत वित पावै मनमानी ।।3।। शीतला..
॥ चौपाई ॥
जय-जय-जय श्री शीतला भवानी ।
जय जग जननि सकल गुणधानी ॥
गृह-गृह शक्ति तुम्हारी राजित ।
पूरण शरदचंद्र समसाजित ॥
विस्फोटक से जलत शरीरा ।
शीतल करत हरत सब पीड़ा ॥
मात शीतला तव शुभनामा ।
सबके गाढे आवहिं कामा ॥
शोक हरी शंकरी भवानी ।
बाल-प्राणक्षरी सुख दानी ॥
शुचि मार्जनी कलश करराजै ।
मस्तक तेज सूर्य सम साजै ॥
चौसठ योगिन संग में गावैं ।
वीणा ताल मृदंग बजावै ॥
नृत्य नाथ भैरौं दिखलावैं ।
सहज शेष शिव पार ना पावैं ll
धन्य धन्य धात्री महारानी ।
सुरनर मुनि तब सुयश बखानी ॥
ज्वाला रूप महा बलकारी ।
दैत्य एक विस्फोटक भारी ॥
घर घर प्रविशत कोई न रक्षत ।
रोग रूप धरी बालक भक्षत ॥
हाहाकार मच्यो जगभारी ।
सक्यो न जब संकट टारी ॥
तब मैंय्या धरि अद्भुत रूपा ।
कर में लिये मार्जनी सूपा ॥
विस्फोटकहिं पकड़ि कर लीन्हो ।
मूसल प्रमाण बहुविधि कीन्हो ॥
बहुत प्रकार वह विनती कीन्हा ।
मैय्या नहीं भल मैं कछु कीन्हा ॥
अबनहिं मातु काहुगृह जइहौं ।
जहँ अपवित्र वही घर रहि हो ॥
अब भगतन शीतल भय जइहौं ।
विस्फोटक भय घोर नसइहौं ॥
श्री शीतलहिं भजे कल्याना ।
वचन सत्य भाषे भगवाना ॥
पूजन पाठ मातु जब करी है ।
भय आनंद सकल दुःख हरी है ॥
विस्फोटक भय जिहि गृह भाई ।
भजै देवि कहँ यही उपाई ॥
कलश शीतलाका सजवावै ।
द्विज से विधीवत पाठ करावै ॥
तुम्हीं शीतला, जगकी माता ।
तुम्हीं पिता जग की सुखदाता ॥
तुम्हीं जगद्धात्री सुखसेवी ।
नमो नमामी शीतले देवी ॥
नमो सुखकरनी दु:खहरणी ।
नमो- नमो जगतारणि धरणी ॥
नमो नमो त्रलोक्य वंदिनी ।
दुखदारिद्रक निकंदिनी ॥
श्री शीतला , शेढ़ला, महला ।
रुणलीहृणनी मातृ मंदला ॥
हो तुम दिगम्बर तनुधारी ।
शोभित पंचनाम असवारी ॥
रासभ, खर , बैसाख सुनंदन ।
गर्दभ दुर्वाकंद निकंदन ॥
सुमिरत संग शीतला माई,
जाही सकल सुख दूर पराई ॥
गलका, गलगन्डादि जुहोई ।
ताकर मंत्र न औषधि कोई ॥
एक मातु जी का आराधन ।
और नहिं कोई है साधन ॥
निश्चय मातु शरण जो आवै ।
निर्भय मन इच्छित फल पावै ॥
कोढी, निर्मल काया धारै ।
अंधा, दृग निज दृष्टि निहारै ॥
बंध्या नारी पुत्र को पावै ।
जन्म दरिद्र धनी होइ जावै ॥
मातु शीतला के गुण गावत ।
लखा मूक को छंद बनावत ॥
यामे कोई करै जनि शंका ।
जग मे मैया का ही डंका ॥
भगत ‘कमल’ प्रभुदासा ।
तट प्रयाग से पूरब पासा ॥
ग्राम तिवारी पूर मम बासा ।
ककरा गंगा तट दुर्वासा ॥
अब विलंब मैं तोहि पुकारत ।
मातृ कृपा कौ बाट निहारत ॥
पड़ा द्वार सब आस लगाई ।
अब सुधि लेत शीतला माई ॥
॥ दोहा ॥
यह चालीसा शीतला,
पाठ करे जो कोय ।
सपनें दुख व्यापे नही,
नित सब मंगल होय ॥
ॐ जै जगजननी आनंदकरणी कलिमल हरणी सुखदानी ।
शीतले भवानी रमा शिवाणी जै ब्रह्माणी रुद्राणी ।।
खरारूढ़ तू जै जगमाता शिर सोने का क्षत्र फिरे ।
कलश पियूषपाणि इक राजत शुभ्र मार्जनी एक करे ।।
संतन सुख सेवा हे मेरी देवा, कड़ाधाम में राज रहें ।
क्षेत्रपाल भैरव सुखकारी, हनुमान अगवान तेरे ।।
जै माँ कुन्डेश्वरि जै माँ शान्ता जै श्री माता कल्याणी ।।1।। शीतला....
ब्रह्मा वेद पढ़ें तोरे द्वारे शिव सनकादिक ध्यान धरें ।
इन्द्र कृष्ण तोरी करत आरती, चॅवर कुबेर डुलाय रहे ।।
निकट देव धुनिधार बहत, तट श्री कालेश्वरनाथ अहैं ।
गौरी मंगला माँ मातंगी सदा भक्तन का कल्याण करें । |
ऋणिका आदि मातृकाओं में श्रेष्ठ सदा तू जग जानी ।।2।। शीतला...
त्रिविधि ताप से पीड़ित जो जन शरण तिहारी आन पड़ें ।
सोमवार शीतला सप्तमी व्रत करि तेरो नाम जपै ।।
पान फूल अरुभोग बताशा श्री फल चुनरी भेंट धरै ।
पंचधार संग कुण्ड भरावै, पाँच प्रदक्षिण धाय करै ।।
किंकर भव बाधा कटि जावै, अरु सुत वित पावै मनमानी ।।3।। शीतला..
ह्रीं श्रीं शीतलाये नमः
शीतलाष्टक-स्तोत्र
मन्त्रः ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नमः ॥ [११ बार]
।।ईश्वर उवाच।।